नई दिल्ली, 27 जुलाई:भारत वैश्विक हेपेटाइटिस महामारी से पीड़ित मरीजों का एक बड़ा केंद्र है जहां अनुमानतः दो करोड़ 98 लाख लोग हेपेटाइटिस बी और 55 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं। इसके प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, ताकि वायरल हेपेटाइटिस के गंभीर स्वास्थ्य चुनौती के खिलाफ कार्रवाई को गति दी जा सके।
यह बातें आईएलबीएस के निदेशक और चांसलर डॉ. शिव कुमार सरीन ने दिल्ली-एनसीआर के 15 स्कूलों के 200 से अधिक छात्रों व अन्य लोगों से संवाद के दौरान दी। उन्होंने बच्चों को हेपेटाइटिस के लक्षण, खतरे और रोकथाम की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुल हेपेटाइटिस पीड़ितों में से लगभग 11% भारत में है। जिनमें से अधिकांश स्वयं के संक्रमित होने के तथ्य से अनजान होते हैं। सिर्फ हेपेटाइटिस बी से पीड़ित करीब 15% लोग ही अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं। इनमें से भी सिर्फ 3% लोग ही परीक्षण और उपचार तक पहुंच होने के चलते उचित देखभाल हासिल कर पाते हैं।
इस अवसर पर लगभग 130 बच्चों ने लोगो बनाने की प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिसमें हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई और जागरूकता के महत्व को उजागर करने वाले डिजाइन बनाए गए। साठ छात्रों ने सार्वजनिक भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया। साथ ही रचनात्मक और आत्मविश्वासपूर्ण प्रस्तुतियों के माध्यम से हेपेटाइटिस और इसके प्रभाव के बारे में अपनी समझ का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के अंत में दोनों प्रतियोगिताओं के विजेताओं के साथ जजों और गणमान्य व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस के बारे में
वायरल हेपेटाइटिस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है जो सिरोसिस और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (यकृत कैंसर) सहित पुरानी यकृत रोग का कारण बन सकती है। ये जटिलताएं हेपेटाइटिस से संबंधित सभी मौतों का 96% हिस्सा हैं। हर दिन, दुनिया भर में 6 हजार से अधिक नए हेपेटाइटिस संक्रमण होते हैं, जबकि इस रोकथाम योग्य बीमारी के कारण 3,500 लोगों की दुखद मृत्यु हो जाती है।इसमें एक दिल दहला देने वाला तथ्य ये है कि हर 30 सेकंड में हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। रोकथाम, निदान और उपचार रणनीतियों को बढ़ाने के लिए तत्काल और त्वरित कार्रवाई आवश्यक है।